| 序 | 诗词名称 | 作者 | 热 |
|---|---|---|---|
| 1 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 2 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 3 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 4 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 5 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 6 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 7 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 8 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 9 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 10 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 11 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 12 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 13 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 15 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 16 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 17 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 18 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 19 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 20 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 21 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 22 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 23 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 24 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 25 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 26 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 27 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 28 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 29 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 30 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 31 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 32 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 33 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 34 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 35 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 36 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 37 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 38 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 39 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 40 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 41 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 42 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 43 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 44 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 44 | 偈颂八十五首 其四十四 | 释妙伦 | 1 |
| 45 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 46 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 47 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 48 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 49 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 50 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 51 | 偈颂八十五首 其五十一 | 释妙伦 | 1 |
| 51 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 52 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 53 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 54 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 55 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 55 | 偈颂八十五首 其五十五 | 释妙伦 | 1 |
| 56 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 57 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 58 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 59 | 偈颂八十五首 其五十九 | 释妙伦 | 1 |
| 59 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 60 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 61 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 62 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 63 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 64 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 65 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 66 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 67 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 68 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 70 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 71 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 72 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 73 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 74 | 偈颂八十五首 其七十四 | 释妙伦 | 1 |
| 74 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 75 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 76 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 77 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 78 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 79 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
| 79 | 偈颂八十五首 其七十九 | 释妙伦 | 1 |
| 80 | 偈颂八十五首 其八十 | 释妙伦 | 1 |
| 80 | 偈颂八十五首 | 释妙伦 | 1 |
(宋)释妙伦
宽用工,急著限。
是也划,非也划。
顶{左宁右页}忽然突出眼,圈圈圞圞,
一似古殿里壁角落头破灯盏。者老和尚,
元无所向。一味麻皮头,
做出万般样。我也无端被伊葛藤一上,
惭愧椿子倒了也。衔怨衔恩,
含悲合笑,烧一炷香供养。
(宋)释妙伦
秋山色老,秋树叶零。
秋云影乱,秋水波澄。
伸手缩手,取之不得,
开眼合眼,视之无形。
五湖衲子,披披搭搭,
哆哆和和。那进而秤量,
者边匹瑞。瑞岩老汉却不敢与之较重较轻,
斤两分明。
(宋)释妙伦
主人翁,辘辘转。
有手脚,无背面。
或向深山里敲冰钓鱼,或向闹市中炙火摇扇。
堪笑禅和子,长在蒲团上东讨西寻,
直是不得一回亲见。当此自恣,
将何证验。瑞岩今夜事不犹已,
未免擘破面门开个方便。秋风一阵晚来寒,
吹断白云三四片。